मुशफिकुर रहीम ने ओडीआई क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की, 274 मैचों के बाद अपना अंतिम ओवर खेल दिया

मुशफिकुर रहीम ने ओडीआई क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की, 274 मैचों के बाद अपना अंतिम ओवर खेल दिया

मुशफिकुर रहीम ने अपने फेसबुक पेज पर एक छोटा सा पोस्ट डाला — बिना रोए, बिना झूठे उत्साह के, बस एक शांत विदाई। उस पोस्ट में लिखा था: ‘मैंने ओडीआई क्रिकेट को अपना घर माना है। आज, मैं इस घर से निकल रहा हूँ।’ ये बयान न सिर्फ एक खिलाड़ी के संन्यास का नोटिस था, बल्कि बांग्लादेश क्रिकेट के एक पूरे युग का अंत था। ये घोषणा 5 मार्च 2025 को हुई, जब टीम बांग्लादेश ने 2025 आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी में बिना एक भी मैच जीए बिना घर लौट आया था। रहीम ने अपने ओडीआई करियर को 274 मैचों, 7,795 रनों और 9 शतकों के साथ समाप्त कर दिया — बांग्लादेश के दूसरे सबसे अधिक रन बनाने वाले ओडीआई खिलाड़ी के रूप में।

एक युग का अंत: रहीम का ओडीआई यात्रा

रहीम का ओडीआई करियर लगभग दो दशकों तक चला। 2005 में शुरू हुआ ये सफर, 2025 तक चला। उन्होंने 49 अर्धशतक और 9 शतक जड़े — जिनमें से कुछ ऐसे थे जिन्होंने देश को बचाया। 2015 में ढाका में जिम्बाब्वे के खिलाफ 107, 2017 में किम्बर्ले में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 110*, 2019 में नॉटिंघम में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 102* — ये सिर्फ रन नहीं, बल्कि आत्मविश्वास के बिंदु थे। वो दुनिया के केवल पांच विकेटकीपर-बल्लेबाज हैं जिन्होंने 250 से अधिक ओडीआई मैच खेले हैं। और विकेटकीपर के रूप में उनके 7 शतक दुनिया में चौथे सबसे ज्यादा हैं — कुमार संगक्कारा, एडम गिलक्रिस्ट और एमएस धोनी के बाद।

चैम्पियंस ट्रॉफी: अंतिम झटका

2025 की चैम्पियंस ट्रॉफी के दौरान रहीम की बल्लेबाजी बर्बर रूप से असफल रही। भारत के खिलाफ उन्हें गोल्डन डक मिला — बिना रन के आउट। न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने सिर्फ दो रन बनाए। उनकी आखिरी ओडीआई अर्धशतक लगभग एक साल पहले, श्रीलंका के खिलाफ मार्च 2024 में आया था। उनकी बल्लेबाजी के निरंतर असफलता के बावजूद, बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें टूर्नामेंट के लिए चुना। लेकिन ये चुनाव बेकार साबित हुआ। टीम ने तीनों मैच हार दिए। अफगानिस्तान के खिलाफ 32 रन से हार — ये उस समय तक बांग्लादेश के लिए सबसे बड़ी शर्म की बात थी, क्योंकि वो एक असोसिएट टीम के खिलाफ टेस्ट स्टेटस हासिल करने के बाद पहली बार हार रहे थे।

पिछले दो साल: चोट और अनिश्चितता

रहीम के ओडीआई करियर का अंत तनाव से भरा था। नवंबर 2024 में उनकी बाएं अंगूठे की हड्डी टूट गई थी — एक ऐसी चोट जिसके बाद बीसीबी का अनुमान था कि वो चार से छह हफ्ते तक बाहर रहेंगे। लेकिन वो चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए वापस आ गए। उनके बिना टीम में लिटन दास और शाकिब अल हसन भी शामिल नहीं थे — एक ऐसी टीम जिसमें अनुभव का कमी था। लेकिन रहीम के लिए ये अनुभव अब बोझ बन चुका था। उनके बल्ले पर दबाव इतना बढ़ गया था कि उनके लिए खेलना अब आनंद नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी बन गया।

टेस्ट क्रिकेट: अभी भी जीवित

टेस्ट क्रिकेट: अभी भी जीवित

लेकिन ये संन्यास सिर्फ ओडीआई के लिए था। रहीम ने टेस्ट क्रिकेट जारी रखने का फैसला किया। 19 नवंबर 2025 को, उन्होंने ढाका के शेर-ए-बांगला नेशनल क्रिकेट स्टेडियम में अपना 100वां टेस्ट खेला — बांग्लादेश के इतिहास में पहला खिलाड़ी जिसने ये मील का पत्थर पार किया। उस दिन के पहले दिन के अंत तक, वो 99 रन पर अजेय थे। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में दो डबल सेंचुरी बनाईं — दुनिया के केवल एक विकेटकीपर-बल्लेबाज जिसने ये किया है। वो बांग्लादेश के सभी फॉर्मेट्स में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं — 15,745 रन। और उन्होंने 150 अंतरराष्ट्रीय मैच जीते — बांग्लादेश के लिए अद्वितीय रिकॉर्ड।

सम्मान और विरासत

उनके बारे में बात करते समय, पूर्व कप्तान मोमिनुल हक कहते हैं: ‘मुशफिकुर को कल 200 रन बनाने चाहिए।’ ये बयान सिर्फ एक दोस्त का नहीं, बल्कि एक युग के आदर का निशान है। उन्होंने 2013 में कप्तानी छोड़ दी थी — लेकिन बाद में वापस आ गए। उनके खेल के दौरान उन्हें इंग्लैंड के दौरे पर फैसल हुसैन की गेंद से चेहरे पर लगा था — जिसके बाद भी उन्होंने खेलना जारी रखा। उनकी लगन ने बांग्लादेश के लिए एक नया मानक बनाया।

अगला कदम: बांग्लादेश के लिए अभी भी बड़ा सवाल

अगला कदम: बांग्लादेश के लिए अभी भी बड़ा सवाल

रहीम के चले जाने के बाद, बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड को एक बड़ा सवाल छोड़ गया: अब कौन खेलेगा? नए खिलाड़ियों में अनुभव की कमी है। विकेटकीपर-बल्लेबाज के रूप में कोई भी ऐसा खिलाड़ी नहीं है जो रहीम की तरह बल्लेबाजी के साथ विकेटकीपिंग का दबाव भी संभाल सके। बीसीबी ने अभी तक रहीम के संन्यास पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन उनके बिना टीम का भविष्य अनिश्चित है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

मुशफिकुर रहीम के संन्यास के बाद बांग्लादेश की ओडीआई टीम का भविष्य क्या है?

रहीम के बिना बांग्लादेश की ओडीआई टीम में अनुभव का बड़ा अंतर है। अब टीम को लिटन दास, नाजमुल हुसैन और नवाज उद्दीन जैसे नए खिलाड़ियों पर भरोसा करना होगा, लेकिन इनमें से कोई भी रहीम की तरह बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग दोनों में अनुभवी नहीं है। बीसीबी के लिए अब एक नए विकेटकीपर-बल्लेबाज को विकसित करना जरूरी है।

रहीम के ओडीआई करियर के सबसे बड़े उपलब्धि क्या थी?

रहीम की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि वो दुनिया के केवल पांच विकेटकीपर हैं जिन्होंने 250 से अधिक ओडीआई मैच खेले हैं। इसके अलावा, वो केवल चौथे विकेटकीपर हैं जिन्होंने ओडीआई में 7 शतक जड़े हैं। उनके 7,795 रन बांग्लादेश के इतिहास में दूसरे स्थान पर हैं — शाकिब अल हसन के बाद।

क्या रहीम ने कभी बांग्लादेश की कप्तानी की थी?

हां, रहीम ने 2011 से 2013 तक बांग्लादेश की कप्तानी की। उन्होंने मई 2013 में कप्तानी छोड़ने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में उन्होंने इस फैसले को वापस ले लिया। बीसीबी ने उन्हें उस साल के अंत तक कप्तान बनाए रखा। उनकी कप्तानी के दौरान टीम ने कई अहम जीत दर्ज कीं।

रहीम टेस्ट क्रिकेट में क्या अद्वितीय रिकॉर्ड बनाए हैं?

रहीम टेस्ट क्रिकेट में दुनिया के एकमात्र विकेटकीपर-बल्लेबाज हैं जिन्होंने दो डबल सेंचुरी बनाई हैं। वो बांग्लादेश के एकमात्र बल्लेबाज हैं जिन्होंने तीन टेस्ट डबल सेंचुरी जड़ी हैं। उन्होंने 100 टेस्ट मैच खेलकर बांग्लादेश के इतिहास में पहला खिलाड़ी बने। उनके 15,745 रन सभी फॉर्मेट्स में बांग्लादेश के लिए सबसे अधिक हैं।

2025 चैम्पियंस ट्रॉफी में बांग्लादेश की खराब प्रदर्शन क्यों हुआ?

बांग्लादेश की हार का मुख्य कारण अनुभव की कमी थी। रहीम, शाकिब और लिटन जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को टीम में शामिल नहीं किया गया। टीम के नए खिलाड़ियों ने दबाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। विशेष रूप से अफगानिस्तान के खिलाफ हार ने दर्शाया कि टीम अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्भर नहीं रह सकती।

रहीम के संन्यास के बाद क्या अगला कदम है?

रहीम अब टेस्ट क्रिकेट में जारी रहेंगे। बीसीबी को अब एक नए विकेटकीपर-बल्लेबाज को तैयार करना होगा, जो रहीम की जगह ले सके। उनके निकटतम उत्तराधिकारी के रूप में नाजमुल हुसैन और रियाद हक को देखा जा रहा है, लेकिन उनकी बल्लेबाजी क्षमता अभी रहीम के स्तर पर नहीं है।

द्वारा लिखित राजीव अधिगम

मेरा नाम राजीव अधिगम है और मैं समाचार और राजनीतिक विशेषज्ञ हूं। मैं भारतीय जीवन के बारे में लेखन पसंद करता हूं। समाचार और राजनीति के अलावा, मैं भारत की विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों पर गहराई से अध्ययन करता हूं। लोकतांत्रिक विचारधारा के समर्थन में, मैं एक निष्पक्ष, सचेत और गहन लेखक हूं। मेरा लक्ष्य हमारी समाज में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ विचारधारा के विकास में योगदान करना है।

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