क्या आप जानते हैं कि आपका रोज़ का छोटा-सा खाना आपके मूड, नींद और इम्यूनिटी सब बदल सकता है? आयुर्वेद यही कहता है: सही समय और सही गुण वाला भोजन ही सेहत बनाता है। यहाँ मैं सीधे और आसान तरीके से बताऊँगा कि किस तरह के खाने से फायदा मिलेगा और क्या बचना चाहिए।
डोशा अनुसार आहार
आयुर्वेद तीन डोशा—वात, पित्त और कफ—बोलता है। अपने प्रधान डोशा को जानना जरूरी है, पर छोटे नियम हर किसी के काम आते हैं:
वात: सूखा, ठंडा और हल्का खाना वात बढ़ाता है। इसलिए गरम, गीला और थोड़ा तिल या घी मिलाकर खाना ठीक रहता है। दूर करने के लिए सब्जियों को भूनकर, दालें और सूखी मेवे सीमित मात्रा में लें।
पित्त: तेज और गर्म खाने से पित्त बढ़ता है। ठंडा फल (आम, तरबूज सीमित), दूध, और मीठा अनाज संतुलन देता है। तीखा, तला और खट्टा कम करें; धनिया, मेथी और ककड़ी जैसे ठंडक देने वाले मसाले मदद करेंगे।
कफ: भारी और चिकना खाना कफ बढ़ाता है। हल्का, गर्म और मसालेदार खाना कफ घटाता है। उड़द की दाल, हल्दी, काली मिर्च और हरी सब्जियाँ शामिल करें। दूध और चीनी की खपत कम रखें।
रोज़मर्रा के सरल नियम
ये नियम आप तुरंत आजमा सकते हैं:
1) भोजन समय पर लें — सुबह 7-9, दोपहर 12-2 और शाम 7-8 के बीच हल्का खाना। यह आपकी पाचन आग (अग्नि) को मजबूत रखता है।
2) भोजन गरम और ताज़ा खाएँ — ठंडा या बचे हुए तेल वाले भोजन से पाचन कमजोर होता है।
3) सही संयोजन — फल और दूध साथ न लें; दाल और दही भी मुश्किल पचते हैं। दाल-चावल, सब्जी-रोटी अच्छे मेल हैं।
4) मसाले समझदारी से — हींग, जीरा, धनिया और हल्दी रोज़ाना उपयोग से पाचन ठीक रहता है।
5) छोटे हिस्से, ज्यादा बार नहीं — भारी एक बार खाने से कफ बढ़ता है; हल्का और संतुलित रखें।
आसान व्यंजन-टिप्स: सुबह हल्की दलिया या छाछ के साथ गर्म दाल-रोटी, दोपहर में दाल-चावल और स्टीम्ड सब्ज़ी, रात में हल्की सूप या सब्ज़ी-रोटी लें। खाने में एक चमच घी रोज़ मिलाने से पाचन और त्वचा दोनों को लाभ होता है।
अगर आप अपनी डोशा के बारे में निश्चित नहीं हैं तो एक हफ्ते तक छोटी-छोटी बदलाव करके देखें—जैसे अधिक गर्म मसाले, घी या हल्का खाना। शरीर का उत्तर तेज़ मिलेगा। छोटी आदतें लगातार बदलें, फिर फर्क दिखेगा।
आयुर्वेदिक आहार का मकसद खुद को झटक कर बदल देना नहीं, बल्कि रोज़ाना छोटे-छोटे सही फैसले लेना है। क्या आप आज लंच में एक गुनगुना सूप और थोड़ा घी जोड़कर शुरू करेंगे?
मेरे ब्लॉग में मैंने भारतीय पुराणों में उल्लेखित स्वास्थ्यवर्धक भोजन के बारे में विस्तार से बताया है। यहां भोजन संबंधी आयुर्वेदिक ज्ञान की बात की गई है, जैसे कि तुलसी, आंवला, हल्दी, गिलोय और अन्य जड़ी बूटियों का उपयोग रोगों के उपचार में। साथ ही, इसमें गोमूत्र और घी जैसे पदार्थों का महत्व भी बताया गया है। मैंने इसमें ये भी उल्लेख किया है कि कैसे ये पदार्थ आज के समय में हमारी स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।