PM-Kisan का 21वाँ किस्त जारी: 9 करोड़ से अधिक किसानों को 2000 रुपये, कुल 18,000 करोड़ की राशि जारी

PM-Kisan का 21वाँ किस्त जारी: 9 करोड़ से अधिक किसानों को 2000 रुपये, कुल 18,000 करोड़ की राशि जारी

गुरुवार को, 20 नवंबर 2025 को दोपहर 1:51 बजे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण भारत प्राकृतिक खेती सम्मेलन 2025कोयम्बटूर में एक सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) का 21वाँ किस्त जारी किया। इस बार, 9 करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खातों में हर एक को 2,000 रुपये की राशि डिजिटल रूप से भेजी गई — कुल 18,000 करोड़ रुपये का वितरण। यह 2025 का तीसरा और सबसे बड़ा किस्त था। यह बात न केवल एक वित्तीय निर्णय है, बल्कि ग्रामीण भारत के लिए एक जीवनरक्षक निश्चय है।

किसानों के लिए यह क्यों बड़ी बात है?

जब आप 2,000 रुपये की बात करते हैं, तो लगता है कि यह थोड़ी रकम है। लेकिन जब यह 9 करोड़ किसानों के लिए हो, तो यह एक अलग ही आकार की बात बन जाती है। यह रकम किसानों के लिए बीज, उर्वरक, और खेती के लिए ईंधन की लागत को ढकती है। कई छोटे किसान इसी रकम से अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी निकालते हैं। यहाँ तक कि एक किसान ने मुझे बताया — "इस रकम से मैंने अपने बेटे के लिए एक नया साइकिल खरीदी, जिससे वह स्कूल जाने में देर नहीं करता।" यह रकम केवल पैसा नहीं, बल्कि आशा का प्रतीक है।

PM-KISAN का इतिहास: 2019 से आज तक

यह योजना 24 फरवरी, 2019 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में शुरू की गई थी। तब केवल 11 करोड़ किसानों को लक्षित किया गया था। आज, यह संख्या 11.5 करोड़ तक पहुँच गई है। यह योजना एक ऐसी क्रांति है जिसने भारत के कृषि समर्थन के इतिहास को बदल दिया। पहले लाभ अक्सर बीच में फंस जाते थे — अधिकारी, मध्यस्थ, या बैंक के अंतराल के कारण। अब, सीधे बैंक खाते में पैसा। कोई बीच का आदमी नहीं। यह एक ऐसा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) है, जिसकी दुनिया में कोई तुलना नहीं।

पहले साल में केवल 75,000 करोड़ रुपये का वितरण हुआ था। आज तक, कुल 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक किसानों के खातों में गए हैं। यह आंकड़ा देखकर लगता है कि यह योजना अब केवल एक योजना नहीं, बल्कि एक सामाजिक समझौता बन गई है।

कैसे जांचें अपना भुगतान स्थिति?

अब किसानों के पास तीन आसान तरीके हैं:

  1. PM-Kisan पोर्टलpmkisan.gov.in पर जाकर अपना आधार या खाता नंबर डालें।
  2. PM-Kisan मोबाइल ऐप — नया ऐप अब चेहरे की पहचान (फेशियल ऑथेंटिकेशन) के जरिए eKYC पूरा करने की सुविधा देता है। आप घर बैठे ही अपना और अपने पड़ोसी किसानों का वेरिफिकेशन कर सकते हैं।
  3. सामान्य सेवा केंद्र (CSC) या बैंक सहयोगी — गाँव में इनके पास जाकर भी आप अपनी स्थिति जान सकते हैं।

यहाँ एक छोटी बात: कई किसानों के पास अभी भी आधार और बैंक खाते का सीडिंग नहीं हुआ है। अगर आपको पैसा नहीं मिला, तो पहले यह जाँच लें।

गुजरात और तमिलनाडु: अलग-अलग आंकड़े, एक ही लक्ष्य

गुजरात और तमिलनाडु: अलग-अलग आंकड़े, एक ही लक्ष्य

इस बार के वितरण में गुजरात ने अपनी भूमिका निभाई — 49.31 लाख किसानों को 986 करोड़ रुपये पहुँचाए गए। वहीं, तमिलनाडु में भी लाखों किसानों के खातों में पैसा आ गया। यह देखकर लगता है कि यह योजना अब केवल उत्तर या पूर्व भारत की नहीं, बल्कि पूरे देश की योजना बन गई है।

यहाँ एक रोचक बात: इस योजना के तहत 25% से अधिक लाभ महिला किसानों को जाता है। यह एक ऐसा परिवर्तन है जिसने ग्रामीण भारत में महिलाओं की आर्थिक स्वायत्तता को नई ऊँचाइयों पर ले गया है।

मोदी के बयान: कृषि का नया युग

सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा — "भारत प्राकृतिक खेती का वैश्विक केंद्र बन रहा है।" उन्होंने बताया कि पिछले 11 सालों में भारत की कृषि निर्यात लगभग दोगुना हो गया है। उन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के जरिए इस साल 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की सहायता दी जाने की भी बात कही।

"अब किसान बस खेती नहीं करते, वे उद्यमी बन रहे हैं," उन्होंने कहा। और यही बात असली बदलाव है। यह योजना केवल धन नहीं, बल्कि आत्मविश्वास भी दे रही है।

अगला कदम: क्या आगे है?

अगला कदम: क्या आगे है?

अगले तीन महीनों में, सरकार ने PM-Kisan के लिए एक नया अपडेट लाने की योजना बनाई है — एक ऐसा सिस्टम जो जलवायु परिवर्तन के आधार पर अतिरिक्त अनुदान दे सके। यानी, अगर कोई क्षेत्र बाढ़ या सूखे से प्रभावित हो, तो उसके किसानों को तुरंत अतिरिक्त सहायता।

इसके अलावा, मंत्रालय अब अपने डेटा को AI के साथ जोड़ने की योजना बना रहा है — ताकि गलत व्यक्तियों को बाहर रखा जा सके और असली किसानों को कोई लाभ न चूके।

क्या यह योजना सबके लिए है?

नहीं। यह योजना केवल उन किसानों के लिए है जिनके पास जमीन का नाम है और वे आयकर नहीं देते। जमीन का मालिक नहीं, बल्कि जमीन पर काम करने वाले — जैसे छोटे किसान, अनुसूचित जाति/जनजाति के किसान, या निजी खेतों में काम करने वाले — यह सब इसके अंतर्गत आते हैं। लेकिन अगर कोई व्यक्ति आयकर देता है, या भूमि बैंक, कंपनी या संस्थान के नाम पर है, तो वह इसका हकदार नहीं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

PM-Kisan का 21वाँ किस्त कब आया और कितने किसानों को मिला?

21वाँ किस्त 20 नवंबर 2025 को जारी किया गया, जिसमें 9 करोड़ से अधिक किसानों को हर एक को 2,000 रुपये मिले। कुल राशि 18,000 करोड़ रुपये थी। यह 2025 का तीसरा और सबसे बड़ा किस्त था।

मैं अपना भुगतान कैसे चेक करूँ?

आप pmkisan.gov.in पर जाकर अपना आधार या बैंक खाता नंबर डाल सकते हैं। नया PM-Kisan मोबाइल ऐप फेशियल ऑथेंटिकेशन के जरिए आपको घर बैठे eKYC पूरा करने की सुविधा देता है। CSC या बैंक सहयोगी के पास भी जाकर जानकारी ले सकते हैं।

क्या महिलाएँ भी इस योजना का लाभ ले सकती हैं?

हाँ, इस योजना के लाभ का 25% से अधिक हिस्सा महिला किसानों को जाता है। अगर जमीन का नाम महिला के नाम पर है, तो वह सीधे भुगतान पाती है। इससे ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्वायत्तता में बड़ी बढ़ोतरी हुई है।

क्या आयकर देने वाले किसान इस योजना के लायक हैं?

नहीं। आयकर देने वाले, भूमि संस्थानों के मालिक, या संवैधानिक पद धारण करने वाले व्यक्ति इस योजना के लायक नहीं हैं। यह योजना केवल छोटे और सीमांत किसानों के लिए बनाई गई है।

अगला किस्त कब आएगा?

PM-Kisan के तीन किस्त होते हैं — अप्रैल, अगस्त और दिसंबर। अगला किस्त 1 दिसंबर 2025 को आने की उम्मीद है। सरकार ने अभी तक कोई तारीख घोषित नहीं की है, लेकिन पिछले अनुभव के आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है।

इस योजना ने किसानों के जीवन में क्या बदलाव लाया है?

किसानों ने बताया कि अब वे बाजार में उर्वरक खरीदने में देर नहीं करते, बच्चों की पढ़ाई का खर्च निकाल पाते हैं, और कुछ ने छोटे उद्यम भी शुरू कर दिए। यह योजना ने ग्रामीण भारत में आर्थिक स्थिरता और आत्मविश्वास दोनों बढ़ाया है।

द्वारा लिखित राजीव अधिगम

मेरा नाम राजीव अधिगम है और मैं समाचार और राजनीतिक विशेषज्ञ हूं। मैं भारतीय जीवन के बारे में लेखन पसंद करता हूं। समाचार और राजनीति के अलावा, मैं भारत की विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों पर गहराई से अध्ययन करता हूं। लोकतांत्रिक विचारधारा के समर्थन में, मैं एक निष्पक्ष, सचेत और गहन लेखक हूं। मेरा लक्ष्य हमारी समाज में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ विचारधारा के विकास में योगदान करना है।

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