समझौता यानी दोनों तरफ़ थोड़ी-बहुत छूट लेकर सहमति पर पहुँचना। पर हर समझौता अच्छा नहीं होता। क्या आप रिश्ते में, काम पर या डील में बार-बार हार मान लेते हैं? या फिर आप बहुत कड़े होकर मौका खो देते हैं? यहां मैं सीधा, काम का रस्ता बताऊँगा — कब समझौता करना चाहिए, कैसे तैयार हों और किन बातों पर न झुकें।
कब समझौता करें — चार आसान संकेत
पहला: जब लक्ष्य बड़ा न हो और दोनों पक्षों के फायदे साफ़ हों। दूसरा: जब आप के पास बेहतर विकल्प (BATNA) कमजोर हो — यानी आप आसानी से वैसा नहीं कर पाएँ। तीसरा: रिश्ते की कीमत समझिए; अगर संबंध बचाना है तो अटूट सिद्धांतों को छोड़कर समाधान लेना बेहतर है। चौथा: समय महत्वपूर्ण हो — जल्दी समाधान जरूरी हो तो छोटा समझौता लाभदायक हो सकता है।
याद रखें, समझौता तब सही है जब आप अपनी बुनियादी ज़रूरतें नहीं खो रहे। अगर किसी बात पर समझौता करने से आपकी सुरक्षा, सम्मान या कानूनी अधिकार प्रभावित होंगे तो वह समझौता सही नहीं है।
कैसे करें असरदार समझौता — कदम-दर-कदम
1) तैयारी: मिलने से पहले अपनी प्राथमिकताएँ लिख लें — क्या गैर-वाटकीय जरूरत है और क्या वैकल्पिक है। यह आपको बातचीत दौरान टिकने में मदद करेगा।
2) BATNA जानें: आपका बेहतरीन वैकल्पिक विकल्प क्या है अगर समझौता न हुआ? यह आपकी पावर बताता है।
3) सवाल पूछें और सुनें: "आपके लिए असली प्राथमिकता क्या है?" सुनने से दूसरा पक्ष भी नरम पड़ता है।
4) छोटे विकल्प दे कर देखें: एक साथ बड़ा समाधान न माँगे। पहले छोटी सहमतियाँ बनाइए और भरोसा बढ़ाइए।
5) स्पष्ट शर्तें लिखें: मौखिक वादे अक्सर टूटते हैं। जो तय हुआ है, उसे लिखकर रखें।
6) समय सीमा और समीक्षा रखें: समझौते में रीविज़न की स्थिति भी जोड़ दें ताकि भविष्य में समस्या होने पर दोबारा बात की जा सके।
7) उपयोगी वाक्य: "क्या हम इसे इस तरह आज़माएँ?", "अगर मैं यह करूँ तो क्या आप वह कर पाएँगे?", "आइए इसे लिख लेते हैं ताकि बाद में भ्रम न हो।" ये सरल वाक्य बातचीत को ठंडा नहीं बल्कि समझदार बनाते हैं।
किसी भी समझौते का मकसद फायदे बाँटना होता है, न कि किसी एक की पूरी जीत। अगर आप स्पष्ट, तैयार और सम्मानपूर्ण हों तो बेहतर नतीजे मिलते हैं।
अंत में, जब कभी लगे कि आप बार-बार वही चीज़ दे रहे हैं और सामने वाला हमेशा ले रहा है, तो उस रिश्ते या डील को फिर से जाँचें। समझौता खुला होना चाहिए — दोनों पक्षों के लिये टिकाऊ और सम्मानजनक।
ऑनलाइन लाइफ कोचिंग एक ऐसा तरीका है जिसमें एक व्यापक परिस्थिति में समझौता किया जाता है जिसमें जो अध्ययन के लिए है वह आसानी से एकत्रित हो सकता है। यह स्थान के अनुसार पूरी तरह से प्रभावी है क्योंकि आप अपने समय को संरक्षित कर सकते हैं और कुछ अतिरिक्त मुद्दों को हल करने के लिए कोचिंग सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं।